IndusInd Bank: स्वतंत्र फर्म ने गड़बड़ियों पर सौंपी रिपोर्ट! जानिए बैंक ने क्या दिया अपडेट
IndusInd Bank: बैंक ने अपने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा, "बैंक FY 2024-25 के फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में इन अकाउंटिंग डिस्क्रिपेंसीज़ का प्रभाव सही ढंग से दर्शाएगा और इंटरनल कंट्रोल्स को मज़बूत करने के लिए जरूरी कदम उठाएगा।" बैंक ने पहले ही 1 अप्रैल 2024 से इंटरनल डेरिवेटिव ट्रेड्स को बंद कर दिया है।
Authored by: Abhay Shukla
Updated Apr 27, 2025 23:56 IST

तस्वीर साभार : ET NOW SWADESH Digital
IndusInd Bank
IndusInd Bank : इंडसइंड बैंक ने रविवार को जानकारी दी कि 20 मार्च 2025 को बोर्ड द्वारा नियुक्त की गई इंडिपेंडेंट प्रोफेशनल फर्म ने बैंक में हुई अकाउंटिंग डिस्क्रिपेंसीज़ की जांच पूरी कर ली है। यह डिस्क्रिपेंसीज़ पहली बार 10 मार्च 2025 को सामने आई थीं। फर्म ने अपनी रिपोर्ट 26 अप्रैल 2025 को बैंक को सौंप दी है।
बैंक ने कहा कि जांच में पता चला है कि 31 मार्च 2025 तक बैंक के प्रॉफिट एंड लॉस (पीएंडएल) पर कुल ₹1,959.98 करोड़ का एडवर्स अकाउंटिंग इम्पैक्ट पड़ा है। यह आंकड़ा 15 अप्रैल 2025 को किए गए बैंक डिस्क्लोजर के लगभग समान है।
बैंक ने अपने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा, "बैंक FY 2024-25 के फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में इन अकाउंटिंग डिस्क्रिपेंसीज़ का प्रभाव सही ढंग से दर्शाएगा और इंटरनल कंट्रोल्स को मज़बूत करने के लिए जरूरी कदम उठाएगा।" बैंक ने पहले ही 1 अप्रैल 2024 से इंटरनल डेरिवेटिव ट्रेड्स को बंद कर दिया है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि इंटरनल डेरिवेटिव ट्रेड्स की गलत अकाउंटिंग, खासतौर पर अर्ली टर्मिनेशन के मामलों में, मुख्य कारण रहा। इसके चलते बैंक ने नॉशनल प्रॉफिट्स रिकॉर्ड किए, जो असल में नहीं थे।
बैंक ने कहा कि रिपोर्ट में की-एम्प्लॉइज़ की भूमिका और उनके एक्शंस की भी समीक्षा की गई है। "बोर्ड अब जिम्मेदार लोगों की अकाउंटबिलिटी तय करने और सीनियर मैनेजमेंट के रोल्स और रिस्पॉन्सिबिलिटीज को दोबारा रियलाइंड करने की प्रक्रिया में है," फाइलिंग में बताया गया।
इसी बीच, इंडसइंड बैंक के शेयरों ने पिछले 30 दिनों में करीब 22% की तेजी दिखाई है, लेकिन पिछले छह महीनों में यह 22% से ज्यादा फिसल चुके हैं। साल 2025 की शुरुआत से अब तक, स्टॉक लगभग 15.5% गिरा है।
बता दें कि 10 मार्च 2025 को बैंक का स्टॉक 52-वीक लो पर आ गया था। इस दिन आरबीआई ने बैंक के एमडी और सीईओ सुमंत कथपालिया को केवल एक साल का एक्सटेंशन दिया था, जबकि बैंक के बोर्ड ने तीन साल के रीअपॉइंटमेंट की मांग की थी। इसी दिन बैंक की इंटरनल रिव्यू में भी डेरिवेटिव्स पोर्टफोलियो में गड़बड़ी और दिसंबर 2024 तक नेट वर्थ पर लगभग 2.35% का संभावित एडवर्स इम्पैक्ट सामने आया था।
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आर्टिकल की समाप्ति
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